नोटबंदी के इतने दिनों बाद दो बातें साफ हो गयी है। एक कि आम भारतीय के
धैर्य की दाद देनी होगी। घंटों और दिनों तक लाइन में लगने के बाद कारोबार
कम होने के बाद भी जनता ज्यादातर जगहों पर संयम बरत रही है और अपने ही
पैसों के लिए रुकी हुई है। दूसरी बात जो साफ हो गयी है कि अगर इस नोटबंदी
को लेकर सरकार के पास कोई प्लान था भी, तो वो बुरी तरह फेल हो गया है। रोज
नए नियम, नए फरमान और नए बदलाव। कभी 4,500 के नोट बदल सकते है, तो कभी 2000
रुपये, कभी रोज आ सकते है, तो कभी 24 नवंबर तक एक बार आ सकते है। कभी 2.5
लाख रुपये से कम डिपॉजिट की जांच नही करेंगे। ऐसा कहा जाता है, फिर कहा
जाता है कि हम किसी भी खाते की जांच कर सकते हैं। कभी 1000 के नए नोट की
बात होती है, तो कभी इससे इंकार होता है। इस कभी हां कभी ना वाले अमल ने
लोगों के बीच कंफ्यूज़न और भी बढ़ा दिया है।
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1000 और 500 के नोटों पर पाबंदी के 10 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। एटीएम और बैंकों के सामने इसी तरह की लंबी लाइनें हैं। नकदी की किल्लत से रोजमर्रा के खर्चों से लेकर कारोबार तक पर असर पड़ रहा है और सरकार की ओर से रोज-रोज आ रहे फरमानों ने हालत और खराब कर दी है।
मसलन पहले कैश बदलने की छूट 4,000 रुपये से बढ़ाकर 4,500 रुपये की गई। और 17 नवंबर को ये घटाकर 2000 रुपये कर दी गई। और अब काउंटर पर नोट बदलना बिल्कुल बंद किया जा सकता है। इसी तरह रोजाना नकदी निकालने की लिमिट में भी बदलाव किया गया। नोट बदलने का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने उंगली पर स्याही लगाने का फैसला किया। लेकिन स्याही हर जगह पहुंच नहीं पाई और अब चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई है। सरकार ने एटीएम पर भीड़ कम करने के लिए पेट्रोल पंप के इस्तेमाल का एलान किया। लेकिन पेट्रोल पंप पर तैयारी नहीं दिखी।
8 नवंबर को सरकार की औऱ से 4 हजार रुपये कैश बदलने की छूट दी गई। 13 नवंबर को कैश बदलने की छूट सीमा 4,500 तय की गई। वहीं 15 नवंबर को एक ओर फरमान जारी किया गया कि कैश बदलने पर स्याही के निशान लगाने होंगे। 17 नवंबर को कैश बदलने की सीमा घटाकर 2000 रुपये कर दी गई। और अब कुछ दिनों में काउंटर पर पुराने नोट बदलना बंद हो सकता है।
पहले कहा गया 2.5 लाख रुपये जमा करने पर कोई जांच नहीं होगी। गृहणियों, कारीगरों, मजदूरों की जमा रकम की जांच नहीं होगी। लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जांच हो सकती है। अगर काले धन को सफेद करने में मदद की तो जांच होगी। दूसरे के पैसे जमा करने का शक तो भी जांच होगी।
8 नवंबर को रोजाना नकद निकालने की सीमा रखी गई थी। बाद में रोजाना नकद निकालने की सीमा हटाई गई। सिर्फ साप्ताहिक नकद निकालने की सीमा रखी। लगातार छूट का दायरा बढ़ाया गया। शादी के लिए पैसे निकालने की छूट पहले नहीं थी। शादी के लिए पैसे निकालने की छूट घोषणा के 1 हफ्ते बाद दी। लेकिन बाद में किसानों के लिए ज्यादा रकम निकालने की छूट है
रोज बदलते नियमों से कंफ्यूजन फैल रहा है। बैंकों और बैंकों से ग्राहकों तक संदेश पहुंचने में वक्त लग रहा है। इस बीच जनता को पता नही कि कल कौन सा नया नियम आ जाएंगा।
अनिश्चितता के इस माहौल की वजह से लोगों ने नये नोटों को भी जमा करना शुरू कर दिया है। अपने खर्च कम कर दिए हैं। क्योंकि अभी तक साफ नहीं है कि हालात कब सामान्य हो पाएंगे। और छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े बड़े रिटेल शोरूम तक बिक्री में कमी दिख रही है। ऐसे में हम ये पूछ रहे हैं कि क्या इतना बड़ा बदलाव लागू करने की प्लानिंग ठीक से नहीं की गई।
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1000 और 500 के नोटों पर पाबंदी के 10 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। एटीएम और बैंकों के सामने इसी तरह की लंबी लाइनें हैं। नकदी की किल्लत से रोजमर्रा के खर्चों से लेकर कारोबार तक पर असर पड़ रहा है और सरकार की ओर से रोज-रोज आ रहे फरमानों ने हालत और खराब कर दी है।
मसलन पहले कैश बदलने की छूट 4,000 रुपये से बढ़ाकर 4,500 रुपये की गई। और 17 नवंबर को ये घटाकर 2000 रुपये कर दी गई। और अब काउंटर पर नोट बदलना बिल्कुल बंद किया जा सकता है। इसी तरह रोजाना नकदी निकालने की लिमिट में भी बदलाव किया गया। नोट बदलने का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने उंगली पर स्याही लगाने का फैसला किया। लेकिन स्याही हर जगह पहुंच नहीं पाई और अब चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई है। सरकार ने एटीएम पर भीड़ कम करने के लिए पेट्रोल पंप के इस्तेमाल का एलान किया। लेकिन पेट्रोल पंप पर तैयारी नहीं दिखी।
8 नवंबर को सरकार की औऱ से 4 हजार रुपये कैश बदलने की छूट दी गई। 13 नवंबर को कैश बदलने की छूट सीमा 4,500 तय की गई। वहीं 15 नवंबर को एक ओर फरमान जारी किया गया कि कैश बदलने पर स्याही के निशान लगाने होंगे। 17 नवंबर को कैश बदलने की सीमा घटाकर 2000 रुपये कर दी गई। और अब कुछ दिनों में काउंटर पर पुराने नोट बदलना बंद हो सकता है।
पहले कहा गया 2.5 लाख रुपये जमा करने पर कोई जांच नहीं होगी। गृहणियों, कारीगरों, मजदूरों की जमा रकम की जांच नहीं होगी। लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जांच हो सकती है। अगर काले धन को सफेद करने में मदद की तो जांच होगी। दूसरे के पैसे जमा करने का शक तो भी जांच होगी।
8 नवंबर को रोजाना नकद निकालने की सीमा रखी गई थी। बाद में रोजाना नकद निकालने की सीमा हटाई गई। सिर्फ साप्ताहिक नकद निकालने की सीमा रखी। लगातार छूट का दायरा बढ़ाया गया। शादी के लिए पैसे निकालने की छूट पहले नहीं थी। शादी के लिए पैसे निकालने की छूट घोषणा के 1 हफ्ते बाद दी। लेकिन बाद में किसानों के लिए ज्यादा रकम निकालने की छूट है
रोज बदलते नियमों से कंफ्यूजन फैल रहा है। बैंकों और बैंकों से ग्राहकों तक संदेश पहुंचने में वक्त लग रहा है। इस बीच जनता को पता नही कि कल कौन सा नया नियम आ जाएंगा।
अनिश्चितता के इस माहौल की वजह से लोगों ने नये नोटों को भी जमा करना शुरू कर दिया है। अपने खर्च कम कर दिए हैं। क्योंकि अभी तक साफ नहीं है कि हालात कब सामान्य हो पाएंगे। और छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े बड़े रिटेल शोरूम तक बिक्री में कमी दिख रही है। ऐसे में हम ये पूछ रहे हैं कि क्या इतना बड़ा बदलाव लागू करने की प्लानिंग ठीक से नहीं की गई।
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