नोटबंदी के बाद सरकार कैश पर कसे शिकंजे को ढीला करना नहीं चाहती है।
इसके लिए सरकार आपके लेनदेन और खर्च पर नजर रखने के लिए पैन और आधार का
दायरा बढ़ा करने की योजना बना रही है। बैंक से कैश निकालना हो या डालना हो,
कोई खरीदारी करनी हो सरकार आपके हर लेनदेन पर पूरी नजर रखने के लिए सिस्टम
तैयार कर रही है। कितना कारगर होगा सरकार का ये कदम और इससे आपके लिए क्या
किसी तरह की परेशानी बढ़ सकती है।
बता दें कि सरकार बिना पैन के नकदी लेनदेन की सीमा 50 हजार से घटाकर 30 हजार कर सकती है इसके साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न के लिए भी आधार को जरूरी किया जा सकता है। कारोबारियों के लिए भी बगैर पैन के पेमेंट लेने या देने की सीमा घटाई जा सकती है। फिलहाल 2 लाख रुपये से ज्यादा के पेमेंट लेने या देने पर पैन जरूरी होता है।
सूत्रों के मुताबिक बजट की तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के बीच हुई बैठक में इस विषय पर सहमति बनी है। रतन पी वातल कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। इसके अलावा दूसरे वित्तिय लेनदेन के लिए भी आधार नंबर के इस्तेमाल का फैसला लिया जा सकता है। पैन नहीं होने पर बड़े वित्तिय लेनदेन में आधार देने की छूट मिल सकती है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक फॉर्म 60 की जगह आधार नंबर जरूरी किया जा सकता है। फिलहाल पैन नहीं होने पर वित्तिय लेनदेन के लिए फॉर्म 60 जरूरी होता है। अब जहां पैन नहीं है वहां आधार बेस्ड ई-केवाईसी की शुरुआत की जा सकती है और ई-केवाईसी में आधार नंबर देना काफी माना जा सकता है। आधार नंबर के जरिये छोटे से छोटे वित्तिय लेनदेन पर नजर रखना मुमकिन हो सकेगा। इसके लिए इनकम टैक्स रूल्स 1962 के सेक्शन 114बी में संशोधन किया जा सकता है।
बता दें कि सरकार बिना पैन के नकदी लेनदेन की सीमा 50 हजार से घटाकर 30 हजार कर सकती है इसके साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न के लिए भी आधार को जरूरी किया जा सकता है। कारोबारियों के लिए भी बगैर पैन के पेमेंट लेने या देने की सीमा घटाई जा सकती है। फिलहाल 2 लाख रुपये से ज्यादा के पेमेंट लेने या देने पर पैन जरूरी होता है।
सूत्रों के मुताबिक बजट की तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के बीच हुई बैठक में इस विषय पर सहमति बनी है। रतन पी वातल कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। इसके अलावा दूसरे वित्तिय लेनदेन के लिए भी आधार नंबर के इस्तेमाल का फैसला लिया जा सकता है। पैन नहीं होने पर बड़े वित्तिय लेनदेन में आधार देने की छूट मिल सकती है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक फॉर्म 60 की जगह आधार नंबर जरूरी किया जा सकता है। फिलहाल पैन नहीं होने पर वित्तिय लेनदेन के लिए फॉर्म 60 जरूरी होता है। अब जहां पैन नहीं है वहां आधार बेस्ड ई-केवाईसी की शुरुआत की जा सकती है और ई-केवाईसी में आधार नंबर देना काफी माना जा सकता है। आधार नंबर के जरिये छोटे से छोटे वित्तिय लेनदेन पर नजर रखना मुमकिन हो सकेगा। इसके लिए इनकम टैक्स रूल्स 1962 के सेक्शन 114बी में संशोधन किया जा सकता है।
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