सरकार उद्योग लगाने के लिए इंसेटिव देगी, मगर बदले में कंपनी में हिस्सेदारी लेगी। ये नया फॉर्मूला समाने आया है महाराष्ट्र की नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी में। ये पॉलिसी इंडस्ट्री के गले नहीं उतर रही है और 1 अप्रैल से इसे लागू भी होना है।
महाराष्ट्र में अब 500 करोड़ से ज्यादा निवेश वाले जो उद्योग लगेंगे उनमें राज्य सरकार को 9 फीसदी हिस्सा चाहिए। सरकार ये इक्विटी शेयर उन इंसेटिव्स के बदले में मांग रही है जो राज्य सरकार मुहैया कराएगी। इंडस्ट्री के लोग इस अजीबोगरीब प्रावधान से हैरान हैं।
कंपनी लॉ 2013 के मुताबिक कंपनी में इक्विटी पार्टनर बनने का मतलब ये है कि सरकार बतौर शेयरहोल्डर प्रॉफिट, डिविडेंड, बोनस, वोटिंग राइट्स जैसे तमाम अधिकार भी हासिल करेगी। ये पालिसी इंडस्ट्री के गले नहीं उतर रही हैं और इंडस्ट्री चाहती है कि 1 अप्रैल को इसे लागू करने से पहले सरकार सफाई दे।
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने इस पॉलिसी से बड़ी उम्मीदें पाल रखी हैं। सरकार 2023-2024 तक राज्य में 10 लाख करोड़ का निवेश, 3500 यूनिट्स लगेंगी और 40 लाख नयी नौकरियां पैदा होंगी। पर सवाल ये उठता है कि क्या कंपनियां इस समझौते के लिए तैयार होंगी?
सरकारी आकड़ों के हिसाब से पिछले 3 साल में मेक इन महाराष्ट्र और मैगनेटिक महाराष्ट्र के तहत 6718 करार हुए हैं और इनमें से सिर्फ 1337 ही एग्रीमेंट में बदल पाए हैं। ऐसे में इक्विटी मांगना औद्योगिकरण को और धीमा कर सकता है।
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