पहले नोटबंदी और अब इसके ठीक बाद 5 राज्यों में चुनाव का एलान। और इन
सबके साथ कमोडिटी बाजार के बदलते फंडामेंटल से चुनाव के ठीक पहले दालें
सस्ती होने लगी हैं। नोटबंदी के बाद से चना, अरहर, उड़द और मूंग दाल की
कीमतों में करीब 10-25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हालांकि रिटेल में अभी
राहत कम है। लेकिन कम उत्पादन अनुमान के बावजूद चीनी भी दो महीने में 10
फीसदी सस्ती हुई है और अब गर्मी से पहले चीनी की बड़ी डिमांड दिख नहीं रही।
गेहूं महंगा जरूर हुआ था लेकिन मार्च से नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। ऐसे
में आगे कैसी रहेगी खाने-पीने वाली कमोडिटी की चाल, जानने के लिए लेकर आए
हैं हम ये खास पेशकश।
पिछले 2 महीने में थोक बाजार में चना दाल का दाम 26 फीसदी गिरकर 89 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 11 फीसदी घटकर 122 रुपये पर चल रहा है। पिछले 2 महीने में थोक बाजार में अरहर दाल का दाम 24 फीसदी गिरकर 73 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 14 फीसदी घटकर 103 रुपये पर चल रहा है।
पिछले 2 महीने में थोक बाजार में उड़द दाल का दाम 8 फीसदी गिरकर 80 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 10 फीसदी घटकर 106 रुपये पर चल रहा है। पिछले 2 महीने में थोक बाजार में मूंग दाल का दाम 4 फीसदी गिरकर 60 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 4 फीसदी घटकर 80 रुपये पर चल रहा है। वहीं पिछले 2 महीने में थोक बाजार में चीनी का दाम 10 फीसदी गिरकर 37 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 6 फीसदी घटकर 42 रुपये पर चल रहा है।
दरअसल रिकॉर्ड पैदावान के अनुमान से दाल सस्ती हुई है। इस साल 2 करोड़ टन के पार दाल का उत्पादन संभव है, और बुआई 148 लाख हेक्टेयर के पार रही है। वहीं दिसंबर तक 80 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जबकि इस साल 225 लाख टन उत्पादन संभव है। चीनी की घरेलू खपत 250 लाख टन है, लेकिन नोटबंदी से मांग घटी है।
सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार और सरसों की बुआई से खाने के तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। नोटबंदी से तेल की मांग भी घटी है, जबकि डॉलर के सामने रुपया कमजोर होने से खाने के तेलों की कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। साथ ही थोक में गेहूं का भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। गेहूं की बुआई 292 लाख हेक्टेयर के पार निकल गई है और दिसंबर तक 27 लाख टन गेहूं का इंपोर्ट होने का अनुमान है। इसके अलावा मार्च से गेहूं की नई फसल की आवक आनी शुरू हो जाएगी।
पिछले 2 महीने में थोक बाजार में चना दाल का दाम 26 फीसदी गिरकर 89 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 11 फीसदी घटकर 122 रुपये पर चल रहा है। पिछले 2 महीने में थोक बाजार में अरहर दाल का दाम 24 फीसदी गिरकर 73 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 14 फीसदी घटकर 103 रुपये पर चल रहा है।
पिछले 2 महीने में थोक बाजार में उड़द दाल का दाम 8 फीसदी गिरकर 80 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 10 फीसदी घटकर 106 रुपये पर चल रहा है। पिछले 2 महीने में थोक बाजार में मूंग दाल का दाम 4 फीसदी गिरकर 60 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 4 फीसदी घटकर 80 रुपये पर चल रहा है। वहीं पिछले 2 महीने में थोक बाजार में चीनी का दाम 10 फीसदी गिरकर 37 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि रिटेल में दाम 6 फीसदी घटकर 42 रुपये पर चल रहा है।
दरअसल रिकॉर्ड पैदावान के अनुमान से दाल सस्ती हुई है। इस साल 2 करोड़ टन के पार दाल का उत्पादन संभव है, और बुआई 148 लाख हेक्टेयर के पार रही है। वहीं दिसंबर तक 80 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जबकि इस साल 225 लाख टन उत्पादन संभव है। चीनी की घरेलू खपत 250 लाख टन है, लेकिन नोटबंदी से मांग घटी है।
सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार और सरसों की बुआई से खाने के तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। नोटबंदी से तेल की मांग भी घटी है, जबकि डॉलर के सामने रुपया कमजोर होने से खाने के तेलों की कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। साथ ही थोक में गेहूं का भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। गेहूं की बुआई 292 लाख हेक्टेयर के पार निकल गई है और दिसंबर तक 27 लाख टन गेहूं का इंपोर्ट होने का अनुमान है। इसके अलावा मार्च से गेहूं की नई फसल की आवक आनी शुरू हो जाएगी।
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