Monday, 22 April 2019

शेयर की कीमतों के ट्रेंड को कैसे समझें?


शेयर बाजार में निवेश आसान नहीं है. यह तथ्यों से अधिक धारणाओं पर चलता है. शेयरों के चुनाव में रुझानों की बड़ी भूमिका होती है. जिसने ये रुझान या ट्रेंड समझ लिए, उन्हें पैसा बनाने में वक्त नहीं लगता है. जो इनका पता लगाने में चूक जाते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. किसी शेयर की चाल वैसे तो दिखने में अनाप-शनाप या ऊबड़-खाबड़ लगती है. लेकिन, इनके पीछे ट्रेंड छुपा होता है.



1.       क्यों ट्रेंड में चलते हैं भाव?
नियामकों की तमाम कोशिशों के बावजूद शेयर की कीमत पर असर डालने वाली खबरें अब भी शेयर बाजार में देर से पहुंचती हैं. पहले, ये उन तक पहुंचती हैं जो मामले से सीधे जुड़े होते हैं. बाजार की भाषा में इन लोगों को इनसाइडर कहा जाता है. फिर ये विश्लेषकों और बड़े निवेशकों तक आती हैं. अंत में आम लोगों तक ये पहुंचती हैं. इसे भी पढ़ें : क्यों आपको सीधे शेयरों में निवेश से बचना चाहिए? चूंकि सूचनाओं के इस सफर में वक्त लगता है जो कुछ घंटे से कई दिन तक का हो सकता है. लिहाजा, शेयर कीमतों में बदलाव भी कम रफ्तार से होता है. कुछ मामलों में तो खबर के बाजार में पहुंचने से पहले ही उसे पूरी तरह मान लिया जाता है. यही कारण है कि कंपनी के प्रॉफिट घटने या उछलने जैसी बड़ी खबरों पर भी मूल्यों पर कुछ खास असर नहीं दिखता है.

2.       ये ट्रेंड क्या हैं?
 ये ट्रेंड तीन तरह के होते हैं-अपट्रेंड, डाउनट्रेंड और साइडवेज ट्रेंड. साइडवेज ट्रेंड तब देखने में आते हैं जब बाजार में अनिश्चितता होती है. अपट्रेंड तब होता है जब बाजार में धीरे से कोई सकारात्मक खबर आती है. वहीं, बुरी खबर आने पर डाउनट्रेंड देखने को मिलता है. अगर शुरुआत में ही आप ट्रेंड पकड़ लें तो गिरावट और तेजी के बुनियादी कारणों को जाने बगैर पैसा बना सकते हैं.

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