हम एक बार फिर से लेकर आए हैं जैकपॉट शेयर, ऐसा शेयर जिसमें निवेश से आपको बंपर मुनाफा मिलेगा। जैकपॉट शेयर वो शेयर है जो लंबी अवधि में तो शानदार मुनाफा देते ही हैं, छोटी अवधि में भी निवेशकों को शानदार रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं। यानि, मजबूत फंडामेंटल वाले ऐसे शेयर जिसमें आगे अच्छी तेजी की उम्मीद है।
आज का जैकपॉट शेयरः यूपीएल
1969 में कंपनी का गठन हुआ था। कंपनी ने स्मॉल स्केल इकाई के तौर पर काम शुरु किया था। लेकिन आज यूपीएल दुनिया की सबसे बड़ी जेनेरिक एग्रो कंपनियों में शामिल है। कंपनी एग्रो, स्पेशियालिटी, इंडस्ट्रियल केमिकल बनाने का काम करती है। करीब 120 से ज्यादा देशों में कंपनी का कारोबार है। दुनियाभर में 28 फैक्ट्रियां और 1400 से ज्यादा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो है।
कंपनी के चौथी तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे है। कंपनी की आय में साल दर साल 20 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। वहीं कंपनी का मार्जिन 1.22 फीसदी सुधरकर 21 फीसदी के पार चला गया है। कंपनी के मार्जिन में आगे भी सुधार जारी रह सकता है। कंपनी का बायो सेगमेंट पर काफी जोर है। कंपनी ने नए बाजार में प्रवेश किया है। कंपनी के ब्रांडेड सेगमेंट में भी बढ़त देखने को मिल सकती है।
वित्त वर्ष 2018 में कंपनी की आय में 12-15 फीसदी का उछाल और मार्जिन में 0.50-0.75 फीसदी का सुधार देखने को मिला है। ग्लोबल कंसॉलिडेशन से कंपनी को फायदा होगा। बीते 3 साल में ग्लोबल मार्केट 1 फीसदी बढ़कर 4 फीसदी हुआ है।
भारत में कंपनी के 3 प्रोडक्ट्स ने 100 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। उत्तरी अमेरिका में कपास और सोया की बुआई बढ़ी है। यूरोप में स्टॉक की कमी और चीन में कड़े नियमों से सप्लाई घटेगी। कंपनी के बैलेसशीट पर 5350 करोड़ रुपये का कर्ज और 2894 करोड़ रुपये की कैश है।
ग्लोबल कंसॉलिडेशन के बीच कंपनी अधिग्रहण कर सकती है। एडवांटा के विलय से करीब 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। कंपनी के पास फिलहाल 43000 करोड़ रुपये का मार्केट कैप है। कंपनी में 30.27 फीसदी प्रोमोटर की हिस्सेदारी है। साथ ही एफआईआई का 45.89 फीसदी और म्युचुअल फंड का 10.86 फीसदी हिस्सा है।
कंपनी में सितंबर 2016 में प्रोमोटर का हिस्सा 27.76 फीसदी था जो दिसंबर 2016 में बढ़कर 30.27 फीसदी हुआ। वहीं मार्च 2017 तक 30.27 फीसदी ही रहा है।
आज का जैकपॉट शेयरः यूपीएल
1969 में कंपनी का गठन हुआ था। कंपनी ने स्मॉल स्केल इकाई के तौर पर काम शुरु किया था। लेकिन आज यूपीएल दुनिया की सबसे बड़ी जेनेरिक एग्रो कंपनियों में शामिल है। कंपनी एग्रो, स्पेशियालिटी, इंडस्ट्रियल केमिकल बनाने का काम करती है। करीब 120 से ज्यादा देशों में कंपनी का कारोबार है। दुनियाभर में 28 फैक्ट्रियां और 1400 से ज्यादा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो है।
कंपनी के चौथी तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे है। कंपनी की आय में साल दर साल 20 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। वहीं कंपनी का मार्जिन 1.22 फीसदी सुधरकर 21 फीसदी के पार चला गया है। कंपनी के मार्जिन में आगे भी सुधार जारी रह सकता है। कंपनी का बायो सेगमेंट पर काफी जोर है। कंपनी ने नए बाजार में प्रवेश किया है। कंपनी के ब्रांडेड सेगमेंट में भी बढ़त देखने को मिल सकती है।
वित्त वर्ष 2018 में कंपनी की आय में 12-15 फीसदी का उछाल और मार्जिन में 0.50-0.75 फीसदी का सुधार देखने को मिला है। ग्लोबल कंसॉलिडेशन से कंपनी को फायदा होगा। बीते 3 साल में ग्लोबल मार्केट 1 फीसदी बढ़कर 4 फीसदी हुआ है।
भारत में कंपनी के 3 प्रोडक्ट्स ने 100 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। उत्तरी अमेरिका में कपास और सोया की बुआई बढ़ी है। यूरोप में स्टॉक की कमी और चीन में कड़े नियमों से सप्लाई घटेगी। कंपनी के बैलेसशीट पर 5350 करोड़ रुपये का कर्ज और 2894 करोड़ रुपये की कैश है।
ग्लोबल कंसॉलिडेशन के बीच कंपनी अधिग्रहण कर सकती है। एडवांटा के विलय से करीब 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। कंपनी के पास फिलहाल 43000 करोड़ रुपये का मार्केट कैप है। कंपनी में 30.27 फीसदी प्रोमोटर की हिस्सेदारी है। साथ ही एफआईआई का 45.89 फीसदी और म्युचुअल फंड का 10.86 फीसदी हिस्सा है।
कंपनी में सितंबर 2016 में प्रोमोटर का हिस्सा 27.76 फीसदी था जो दिसंबर 2016 में बढ़कर 30.27 फीसदी हुआ। वहीं मार्च 2017 तक 30.27 फीसदी ही रहा है।
No comments:
Post a Comment