Friday, 14 July 2017

जीएसटी में टैक्स चोरी मुश्किल!

देश भर में करोड़ों डिस्ट्रीब्यूटर और होलसेलर हैं। पूरी सप्लाई चेन पर नजर रखना टैक्स अफसरों के लिए लगभग नामुमकिन था। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद अब टैक्स चोरी मुश्किल हो जाएगा। जल्द ही जीएसटीएन नेटवर्क में एक सॉफ्टवेयर आ रहा है जिससे अपने दफ्तर में बैठकर ही टैक्स अफसर चंद क्लिक में सार भेद जान सकते हैं।

जीएसटी युग में कारोबार करना आसान होगा, लेकिन कारोबार में बेईमानी मुश्किल। डिस्ट्रीब्यूटर ने क्या और कितना माल भेजा, ये सारी जानकारी नेटवर्क पर दर्ज होगी। होलसेलर ने वेरीफाई कर दिया तो ये जानकारी लॉक हो जाएगी। लॉक करने का अधिकार डिस्ट्रीब्यूटर और होलसेलर दोनों को होगा। एक बार ये जानकारी लॉक हो गई तो कोई उसे बदल नहीं सकता। इससे टैक्समैन को तो कारोबार ट्रैक करने में आसानी होगी ही, होलसेलर और रिटेलर को भी फायदा होगा। दरअसल पुरानी व्यवस्था में डिस्ट्रीब्यूटर होलसेलर या रिटेलर का वैट के बराबर का पेमेंट रोक लेते थे। वैट पेमेंट करने के बाद ही ये रकम मिलती थी। लेकिन अब ये पूंजी रुकेगी नहीं क्योंकि रिटेलर या होलसेलर ने टैक्स दिया या नहीं ये चिंता अब डिस्ट्रीब्यूटर को नहीं करनी है।

इतना ही नहीं। जीएसटीएन के तहत कारोबारियों की रेटिंग भी की जाएगी। जो कारोबारी जीएसटी के नियमों का ज्यादा मुस्तैदी से पालन करेंगे उनकी रेटिंग अच्छी होगी और जो अनदेखी करेंगे उनकी रेटिंग नीचे रहेगी। ये रेटिंग जीरो से 10 तक होगी। नियमित तौर पर टैक्स चुकाना, समय पर रिटर्न फाइल करना, इनवार्ड और आउटवार्ड सप्लाई में मैचिंग जैसे मापदंड पर रेटिंग निर्भर करेगा। ये रेटिंग हर कारोबारी के जीएसटीएन प्रोफाइल के साथ कोई भी देख सकता है।

इसी तरह एक कारोबारी साल में अगर तय संख्या से ज्यादा बार रिटर्न भरने, टैक्स चुकाने में देरी करता है या गड़बड़ी करता है तो सिस्टम अलर्ट कर देगा। इस पर उस कारोबारी का रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल किया जा सकता है। यानी जीएसटी के तहत किसी गड़बड़ी को पकड़ने के लिए अब टैक्स अधिकारी की तरफ से एक्शन का इंतजार नहीं करना होगा। जीएसटीएन सॉफ्टवेयर खुद इसका अलर्ट जारी कर देगा। जाहिर है इससे विभाग में भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी होगी।

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