केंद्र सरकार ने रिफॉर्म के मोर्चे पर बड़ा फैसला किया है। अब पूरे देश में एक समान न्यूनतम वेतन लागू होगा। कैबिनेट ने न्यूनतम वेतन कोड बिल को मंजूरी दे दी है। साथ ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को और आकर्षक बना दिया गया है।
न्यूनतम वेतन कोड बिल के तहत तय न्यूनतम वेतन देना कानूनी तौर पर जरूरी हो गया है। अब सभी इंडस्ट्रीज को न्यूनतम वेतन देना होगा। तय न्यूनतम वेतन क्या होगा ये केंद्र सरकार तय करेगी। नए बिल के तहत राज्य, केंद्र से कम न्यूनतम वेतन तय नहीं कर सकते। तय न्यूनतम वेतन सभी इंडस्ट्री पर लागू होगी। बता दें कि अभी 51 तरह के रोजगार पर ही न्यूनतम वेतन कानून लागू है। ये बिल संसद के चालू मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है। बता दें कि वेजेज कोड चार अलग-अलग कानूनों की जगह लेगा। इसके तहत हर 2 साल में न्यूनतम वेतन की समीक्षा की जाएगी।
साथ ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को और आकर्षक बना दिया गया है। अब पूरे साल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम जारी रहेगी जिसके तहत सालाना 500 ग्राम की बजाय 4 किलो तक निवेश की छूट मिलेगी। ट्रस्ट के लिए निवेश सीमा बढ़ाकर सालाना 20 किलो कर दी गई है। वित्त मंत्रालय समय-समय पर इस पर मिलने वाले ब्याज दर की समीक्षा करेगी।
बता दें कि गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत सरकार ने पिछले दो साल में 25 हजार करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 4 हजार 7 करोड़ रुपये के करीब पैसा जुटाया है।
न्यूनतम वेतन कोड बिल के तहत तय न्यूनतम वेतन देना कानूनी तौर पर जरूरी हो गया है। अब सभी इंडस्ट्रीज को न्यूनतम वेतन देना होगा। तय न्यूनतम वेतन क्या होगा ये केंद्र सरकार तय करेगी। नए बिल के तहत राज्य, केंद्र से कम न्यूनतम वेतन तय नहीं कर सकते। तय न्यूनतम वेतन सभी इंडस्ट्री पर लागू होगी। बता दें कि अभी 51 तरह के रोजगार पर ही न्यूनतम वेतन कानून लागू है। ये बिल संसद के चालू मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है। बता दें कि वेजेज कोड चार अलग-अलग कानूनों की जगह लेगा। इसके तहत हर 2 साल में न्यूनतम वेतन की समीक्षा की जाएगी।
साथ ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को और आकर्षक बना दिया गया है। अब पूरे साल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम जारी रहेगी जिसके तहत सालाना 500 ग्राम की बजाय 4 किलो तक निवेश की छूट मिलेगी। ट्रस्ट के लिए निवेश सीमा बढ़ाकर सालाना 20 किलो कर दी गई है। वित्त मंत्रालय समय-समय पर इस पर मिलने वाले ब्याज दर की समीक्षा करेगी।
बता दें कि गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत सरकार ने पिछले दो साल में 25 हजार करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 4 हजार 7 करोड़ रुपये के करीब पैसा जुटाया है।
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