इंफोसिस का विवाद बढ़ता जा रहा है। कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का ने
कर्मचारियों को चिट्ठी लिखकर मामले को हल्का करने की कोशिश की, मगर आज
कंपनी के फाउंडर और पूर्व चेयरमैन नारायण मूर्ति के बयानों ने मामले को फिर
बड़ा बना दिया है।
इंफोसिस के फाउंडर, एन आर नारायणमूर्ति के मुताबिक कंपनी में काम कर रहे है लोगों को 80 फीसदी जबकि नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारी को 100 फीसदी तक वैरिएबल पे देना शक के दायरे में लाता है। लगता है कि कुछ छुपाया जा रहा है। इसके 1 साल बाद फोरेंसिक ऑडिट करवाना हास्यास्पद है, क्योंकि इस दौरान सबूत मिटाए जा सकते हैं।
एन आर नारायणमूर्ति ने ये भी कहा कि उम्मीद है कि किसी तरह का गलत काम नहीं हुआ, लेकिन ईमानदार कर्मचारियों की अनदेखी हुई है। गैर-जिम्मेदाराना और दिमाग लगाए बिना फैसले किए गए। उम्मीद है कि आने वाले सालों में विशाल सिक्का, मैनेजमेंट और हर कर्मचारी बेहतरीन काम करेगा, जैसा मैंने कंपनी में रहते हुए किया।
इस विवाद पर सीएनबीसी-आवाज़ से बात करते हुए इंफोसिस के पूर्व सीएफओ, वी बालकृष्णन ने कहा कि ये बोर्ड और फाउंडर्स के बीच का विवाद है और विवाद विशाल सिक्का के साथ का नहीं है। फाउंडर्स ने विशाल सिक्का के पेमेंट पर सवाल उठाए हैं, लेकिन बोर्ड ने विशाल सिक्का के पेमेंट पर सफाई नहीं दी है। फाउंडर्स को विशाल सिक्का से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि फाउंडर्स को बोर्ड से दिक्कत है। फाउंडर्स को बोर्ड से दिक्कत है क्योंकि विशाल सिक्का के पेमेंट को सही से हैंडल नहीं किया गया।
वी बालकृष्णन ने ये भी कहा कि विशाल सिक्का को कंपनी में बने रहना चाहिए। इंफोसिस का बोर्ड अनप्रोफेशनल तरीके से काम कर रहा है। फाउंडर्स को कंपनी का कंट्रोल नहीं चाहिए, बल्कि फाउंडर्स को कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दे सुलझाने हैं। सार्वजनिक तौर पर इस तरह लड़ने की बजाय नए बोर्ड का गठन करना चाहिए। साथ ही इस विवाद के बीच चेयरमैन को इस्तीफा दे देना चाहिए और बोर्ड को अंतरिम चेयरमैन का चयन करना चाहिए।
इंफोसिस के फाउंडर, एन आर नारायणमूर्ति के मुताबिक कंपनी में काम कर रहे है लोगों को 80 फीसदी जबकि नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारी को 100 फीसदी तक वैरिएबल पे देना शक के दायरे में लाता है। लगता है कि कुछ छुपाया जा रहा है। इसके 1 साल बाद फोरेंसिक ऑडिट करवाना हास्यास्पद है, क्योंकि इस दौरान सबूत मिटाए जा सकते हैं।
एन आर नारायणमूर्ति ने ये भी कहा कि उम्मीद है कि किसी तरह का गलत काम नहीं हुआ, लेकिन ईमानदार कर्मचारियों की अनदेखी हुई है। गैर-जिम्मेदाराना और दिमाग लगाए बिना फैसले किए गए। उम्मीद है कि आने वाले सालों में विशाल सिक्का, मैनेजमेंट और हर कर्मचारी बेहतरीन काम करेगा, जैसा मैंने कंपनी में रहते हुए किया।
इस विवाद पर सीएनबीसी-आवाज़ से बात करते हुए इंफोसिस के पूर्व सीएफओ, वी बालकृष्णन ने कहा कि ये बोर्ड और फाउंडर्स के बीच का विवाद है और विवाद विशाल सिक्का के साथ का नहीं है। फाउंडर्स ने विशाल सिक्का के पेमेंट पर सवाल उठाए हैं, लेकिन बोर्ड ने विशाल सिक्का के पेमेंट पर सफाई नहीं दी है। फाउंडर्स को विशाल सिक्का से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि फाउंडर्स को बोर्ड से दिक्कत है। फाउंडर्स को बोर्ड से दिक्कत है क्योंकि विशाल सिक्का के पेमेंट को सही से हैंडल नहीं किया गया।
वी बालकृष्णन ने ये भी कहा कि विशाल सिक्का को कंपनी में बने रहना चाहिए। इंफोसिस का बोर्ड अनप्रोफेशनल तरीके से काम कर रहा है। फाउंडर्स को कंपनी का कंट्रोल नहीं चाहिए, बल्कि फाउंडर्स को कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दे सुलझाने हैं। सार्वजनिक तौर पर इस तरह लड़ने की बजाय नए बोर्ड का गठन करना चाहिए। साथ ही इस विवाद के बीच चेयरमैन को इस्तीफा दे देना चाहिए और बोर्ड को अंतरिम चेयरमैन का चयन करना चाहिए।
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