Saturday, 18 February 2017

लेबर लॉ रिफॉर्म में महाराष्ट्र सरकार ने किए बदलाव

छोटे कारोबारियों के जरिए रोजगार को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने लेबर लॉ में बड़ा बदलाव किया है। राज्य में छोटे कारोबारियों को 20 की बजाए 50 स्टाफ तक लेबर लॉ के दायरे से बाहर कर दिया गया है। लेकिन लेबर यूनियनों को डर है कि इससे शोषण बढ़ेगा।
labourlaw
महाराष्ट्र सरकार ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। अब वो बिना हिचकिचाहट 50 कर्मचारी रख सकते हैं। अब 50 कर्मचारी तक उन्हें लेबर लॉ 1970 का पालन करना जरूरी नहीं होगा। यानि उनसे प्रॉविडेंट फंड, समय पर वेतन देने, यूनिट में कैंटीन, रेस्ट रूम और साप्ताहिक अवकाश जैसी सुविधाओं पर सवाल नहीं पूछे जाएंगे। पहले स्टाफ की संख्या 20 से ज्यादा होने पर यूनिट लेबर लॉ के अधीन आ जाते थे। 50 स्टाफ तक छूट के लिए सरकार ने कानून में जरूरी संशोधन कर दिए हैं।

लेकिन कारोबारियों की राहत सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। लेबर यूनियनों को इस बात की आशंका है कि कहीं नए कानून के नाम पर स्टाफ के शोषण का नया सिलसिला ना चालू हो जाए।

कारोबारियों को स्टाफ वेलफेयर का ख्याल रखना होगा, नहीं तो इस छूट पर सवाल उठेंगे।

महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना सरकार को सत्ता में आये 2 साल से ज़्यादा वक़्त हो गया है लेकिन सरकार जिस तेजी से रोजगार को बढ़ाना चाहती थी वो नही बड़ा सकी है और शायद यही वजह है कि सरकार ने लेबर लॉ में बदलाव कर एसएमई सेक्टर के जरिए रोज़गार बढ़ाने का दावं खेल रही है। हालाँकि इसने सरकार कितना कमियाब हो पाती है ये तो आने वाले वक़्त में साफ़ हो सकेगा।

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