इंफोसिस में जो निवेशक बने हुए हैं उनको डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन,
किसी कारण से विशाल सिक्का को इंफोसिस से इस्तीफा देना पड़ता है तो दिक्कत
हो सकती है। हालांकि विशाल सिक्का के इस्तीफा देने की संभावना बेहद कम है,
क्योंकि संस्थागत निवेशक विशाल सिक्का के साथ खड़े हैं। विशाल सिक्का के
कार्यकाल में इंफोसिस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है।
वहीं बाजार की चाल पर बात करते हुए उदयन मुखर्जी ने कहा कि नतीजों का सीजन अब तक ठीक ठाक ही रहा है। बजट से बाजार का सहारा मिला है। अब बाजार की नजर उत्तर प्रदेश चुनावों के नतीजे और ग्लोबल बाजारों की चाल पर है। फिलहाल बाजार कंसोलिडेशन के मूड में है, जो एक अच्छा संकेत है।
उदयन मुखर्जी के मुताबिक सरकारी बैंकों के नतीजे अभी ज्यादा उम्मीदजनक नहीं रहे हैं। सरकारी बैंकों के एसेट क्वालिटी को लेकर अभी भी चिंता बनी हुई है। साथ ही क्रेडिट ग्रोथ को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है, जो चिंताजनक है। सरकारी बैंकों के शेयरों में काफी तेजी भी आ चुकी है, ऐसे में आगे के लिए ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
उदयन मुखर्जी का ये भी कहना है कि डॉलर इंडेक्स की कमजोरी के बाद इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई का पैसा आया है। हालांकि, अगर डॉलर इंडेक्स फिर 103-104 के स्तर पर जाता है तो इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई के निवेश में गिरावट आ सकती है। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशकों पर बाजार में पैसे डालने का दबाव बढ़ सकता है। लिहाजा इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई का निवेश आने के लिए डॉलर इंडेक्स का 99-100 के आसपास रहना जरूरी है।
उदयन मुखर्जी का कहना है कि चुनावों के नतीजों से पहले बाजार के लिए ग्लोबल मार्केट का रुख ज्यादा अहम रह सकता है। अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाती है तो फिर बाजार पर इसका निगेटिव असर देखने को मिल सकता है। इस हालात में बाजार 8400-8500 तक गिर सकता है। वहीं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनती है तो फिर बाजार अपने नए उच्चतम स्तरों की ओर जा सकता है। बीजेपी की जीत से बाजार 9000 के पार जाने की उम्मीद है।
वहीं बाजार की चाल पर बात करते हुए उदयन मुखर्जी ने कहा कि नतीजों का सीजन अब तक ठीक ठाक ही रहा है। बजट से बाजार का सहारा मिला है। अब बाजार की नजर उत्तर प्रदेश चुनावों के नतीजे और ग्लोबल बाजारों की चाल पर है। फिलहाल बाजार कंसोलिडेशन के मूड में है, जो एक अच्छा संकेत है।
उदयन मुखर्जी के मुताबिक सरकारी बैंकों के नतीजे अभी ज्यादा उम्मीदजनक नहीं रहे हैं। सरकारी बैंकों के एसेट क्वालिटी को लेकर अभी भी चिंता बनी हुई है। साथ ही क्रेडिट ग्रोथ को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है, जो चिंताजनक है। सरकारी बैंकों के शेयरों में काफी तेजी भी आ चुकी है, ऐसे में आगे के लिए ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
उदयन मुखर्जी का ये भी कहना है कि डॉलर इंडेक्स की कमजोरी के बाद इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई का पैसा आया है। हालांकि, अगर डॉलर इंडेक्स फिर 103-104 के स्तर पर जाता है तो इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई के निवेश में गिरावट आ सकती है। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशकों पर बाजार में पैसे डालने का दबाव बढ़ सकता है। लिहाजा इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई का निवेश आने के लिए डॉलर इंडेक्स का 99-100 के आसपास रहना जरूरी है।
उदयन मुखर्जी का कहना है कि चुनावों के नतीजों से पहले बाजार के लिए ग्लोबल मार्केट का रुख ज्यादा अहम रह सकता है। अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाती है तो फिर बाजार पर इसका निगेटिव असर देखने को मिल सकता है। इस हालात में बाजार 8400-8500 तक गिर सकता है। वहीं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनती है तो फिर बाजार अपने नए उच्चतम स्तरों की ओर जा सकता है। बीजेपी की जीत से बाजार 9000 के पार जाने की उम्मीद है।
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